Wednesday, 10 January 2018

History of Shekhawat


शेखावत वंश परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ

शेखावत
शेखावत सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय वंश की एक शाखा है देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर,शाहपुरा, खंडेला,सीकर, खेतडी,बिसाऊ,सुरजगढ़,नवलगढ़, मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता,खुड,खाचरियाबास, दूंद्लोद, अलसीसर,मलसिसर,रानोली आदि प्रभाव शाली ठिकाने शेखावतों के अधिकार में थे जो शेखावाटी नाम से प्रशिद्ध है ।

शेखावत वंश परिचय

वर्तमान में शेखावाटी की भौगोलिक सीमाएं सीकर और झुंझुनू दो जिलों तक ही सीमित है | भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज कछवाह कहलाये महाराजा कुश के वंशजों की एक शाखा अयोध्या से चल कर साकेत आयी, साकेत से रोहतास गढ़ और रोहताश से मध्य प्रदेश के उतरी भाग में निषद देश की राजधानी पदमावती आये |रोहतास गढ़ का एक राजकुमार तोरनमार मध्य प्रदेश आकर वाहन के राजा गौपाल का सेनापति बना और उसने नागवंशी राजा देवनाग को पराजित कर राज्य पर अधिकार कर लिया और सिहोनियाँ को अपनी राजधानी बनाया |कछवाहों के इसी वंश में सुरजपाल नाम का एक राजा हुवा जिसने ग्वालपाल नामक एक महात्मा के आदेश पर उन्ही नाम पर गोपाचल पर्वत पर ग्वालियर दुर्ग की नीवं डाली | महात्मा ने राजा को वरदान दिया था कि जब तक तेरे वंशज अपने नाम के आगे पाल शब्द लगाते रहेंगे यहाँ से उनका राज्य नष्ट नहीं होगा |सुरजपाल से 84 पीढ़ी बाद राजा नल हुवा जिसने नलपुर नामक नगर बसाया और नरवर के प्रशिध दुर्ग का निर्माण कराया | नरवर में नल का पुत्र ढोला (सल्ह्कुमार) हुवा जो राजस्थान में प्रचलित ढोला मारू के प्रेमाख्यान का प्रशिध नायक है |उसका विवाह पुन्गल कि राजकुमारी मार्वणी के साथ हुवा था, ढोला के पुत्र लक्ष्मण हुवा, लक्ष्मण का पुत्र भानु और भानु के परमप्रतापी महाराजाधिराज बज्र्दामा हुवा जिसने खोई हुई कछवाह राज्यलक्ष्मी का पुनः उद्धारकर ग्वालियर दुर्ग प्रतिहारों से पुनः जित लिया | बज्र्दामा के पुत्र मंगल राज हुवा जिसने पंजाब के मैदान में महमूद गजनवी के विरुद्ध उतरी भारत के राजाओं के संघ के साथ युद्ध कर अपनी वीरता प्रदर्शित की थी |मंगल राज दो पुत्र किर्तिराज व सुमित्र हुए,किर्तिराज को ग्वालियर व सुमित्र को नरवर का राज्य मिला |सुमित्र से कुछ पीढ़ी बाद सोढ्देव का पुत्र दुल्हेराय हुवा | जिनका विवाह dhundhad के मौरां के चौहान राजा की पुत्री से हुवा था |दौसा पर अधिकार करने के बाद दुल्हेराय ने मांची, bhandarej खोह और झोट्वाडा पर विजय पाकर सर्वप्रथम इस प्रदेश में कछवाह राज्य की नीवं डाली |मांची में इन्होने अपनी कुलदेवी जमवाय माता का मंदिर बनवाया | वि.सं. 1093 में दुल्हेराय का देहांत हुवा | दुल्हेराय के पुत्र काकिलदेव पिता के उतराधिकारी हुए जिन्होंने आमेर के सुसावत जाति के मीणों का पराभव कर आमेर जीत लिया और अपनी राजधानी मांची से आमेर ले आये | काकिलदेव के बाद हणुदेव व जान्हड़देव आमेर के राजा बने जान्हड़देव के पुत्र पजवनराय हुए जो महँ योधा व सम्राट प्रथ्वीराज के सम्बन्धी व सेनापति थे |संयोगिता हरण के समय प्रथ्विराज का पीछा करती कन्नोज की विशाल सेना को रोकते हुए पज्वन राय जी ने वीर गति प्राप्त की थी आमेर नरेश पज्वन राय जी के बाद लगभग दो सो वर्षों बाद उनके वंशजों में वि.सं. 1423 में राजा उदयकरण आमेर के राजा बने,राजा उदयकरण के पुत्रो से कछवाहों की शेखावत, नरुका व राजावत नामक शाखाओं का निकास हुवा |उदयकरण जी के तीसरे पुत्र बालाजी जिन्हें बरवाडा की 12 गावों की जागीर मिली शेखावतों के आदि पुरुष थे |बालाजी के पुत्र मोकलजी हुए और मोकलजी के पुत्र महान योधा शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखा का जनम वि.सं. 1490 में हुवा |वि. सं. 1502 में मोकलजी के निधन के बाद राव शेखाजी बरवाडा व नान के 24 गावों के स्वामी बने | राव शेखाजी ने अपने साहस वीरता व सेनिक संगठन से अपने आस पास के गावों पर धावे मारकर अपने छोटे से राज्य को 360 गावों के राज्य में बदल दिया | राव शेखाजी ने नान के पास अमरसर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया और शिखर गढ़ का निर्माण किया राव शेखाजी के वंशज उनके नाम पर शेखावत कहलाये जिनमे अनेकानेक वीर योधा,कला प्रेमी व स्वतंत्रता सेनानी हुए |शेखावत वंश जहाँ राजा रायसल जी,राव शिव सिंह जी, शार्दुल सिंह जी, भोजराज जी,सुजान सिंह आदि वीरों ने स्वतंत्र शेखावत राज्यों की स्थापना की वहीं बठोथ, पटोदा के ठाकुर डूंगर सिंह, जवाहर सिंह शेखावत ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष चालू कर शेखावाटी में आजादी की लड़ाई का बिगुल बजा दिया था |
शेखावत वंश की शाखाएँ
1.1 टकनॆत शॆखावत
1.2 रतनावत शेखावत
1.3 मिलकपुरिया शेखावत
1.4 खेज्डोलिया शेखावत
1.5 सातलपोता शेखावत
1.6 रायमलोत शेखावत
1.7 तेजसी के शेखावत
1.8 सहसमल्जी का शेखावत
1.9 जगमाल जी का शेखावत
1.10 सुजावत शेखावत
1.11 लुनावत शेखावत
1.12 उग्रसेन जी का शेखावत
1.13 रायसलोत शेखावत
1.13.1 लाड्खानी
1.13.2 रावजी का शेखावत
1.13.3 ताजखानी शेखावत
1.13.4 परसरामजी का शेखावत
1.13.5 हरिरामजी का शेखावत
1.13.6 गिरधर जी का शेखावत
1.13.7 भोजराज जी का शेखावत
1.14 गोपाल जी का शेखावत
1.15 भेरू जी का शेखावत
1.16 चांदापोता शेखावत

शेखा जी पुत्रो व वंशजो के कई शाखाओं का प्रदुर्भाव हुआ जो निम्न है |
रतनावत शेखावत
महाराव शेखाजी के दुसरे पुत्र रतना जी के वंशज रतनावत शेखावत कहलाये इनका स्वामित्व बैराठ के पास प्रागपुर व पावठा पर था !हरियाणा के सतनाली के पास का इलाका रतनावातों का चालीसा कहा जाता है

मिलकपुरिया शेखावत
शेखा जी के पुत्र आभाजी,पुरन्जी,अचलजी के वंशज ग्राम मिलकपुर में रहने के कारण मिलकपुरिया शेखावत कहलाये इनके गावं बाढा की ढाणी, पलथाना ,सिश्याँ,देव गावं,दोरादास,कोलिडा,नारी,व श्री गंगानगर के पास मेघसर है !

खेज्डोलिया शेखावत
शेखा जी के पुत्र रिदमल जी वंशज खेजडोली गावं में बसने के कारण खेज्डोलिया शेखावत कहलाये !आलसर,भोजासर छोटा,भूमा छोटा,बेरी,पबाना,किरडोली,बिरमी,रोलसाहब्सर,गोविन्दपुरा,रोरू बड़ी,जोख,धोद,रोयल आदि इनके गावं है !
बाघावत शेखावत - शेखाजी के पुत्र भारमल जी के बड़े पुत्र बाघा जी वंशज बाघावत शेखावत कहलाते है ! इनके गावं जय पहाड़ी,ढाकास,Sahanusar,गरडवा,बिजोली,राजपर,प्रिथिसर,खंडवा,रोल आदि है !

सातलपोता शेखावत
शेखाजी के पुत्र कुम्भाजी के वंशज सातलपोता शेखावत कहलाते है

रायमलोत शेखावत
शेखाजी के सबसे छोटे पुत्र रायमल जी के वंशज रायमलोत शेखावत कहलाते है ।

तेजसी के शेखावत
रायमल जी पुत्र तेज सिंह के वंशज तेजसी के शेखावत कहलाते है ये अलवर जिले के नारायणपुर,गाड़ी मामुर और बान्सुर के परगने में के और गावौं में आबाद है !

सहसमल्जी का शेखावत
रायमल जी के पुत्र सहसमल जी के वंशज सहसमल जी का शेखावत कहलाते है !इनकी जागीर में सांईवाड़ थी !

जगमाल जी का शेखावत
जगमाल जी रायमलोत के वंशज जगमालजी का शेखावत कहलाते है !इनकी १२ गावों की जागीर हमीरपुर थी जहाँ ये आबाद है

सुजावत शेखावत
सूजा रायमलोत के पुत्र सुजावत शेखावत कहलाये !सुजाजी रायमल जी के ज्यैष्ठ पुत्र थे जो अमरसर के राजा बने !

लुनावत शेखावत
लुन्करण जी सुजावत के वंशज लुन्करण जी का शेखावत कहलाते है इन्हें लुनावत शेखावत भी कहते है,इनकी भी कई शाखाएं है !

उग्रसेन जी का शेखावत
अचल्दास का शेखावत,सावलदास जी का शेखावत,मनोहर दासोत शेखावत आदि !

रायसलोत शेखावत
लाम्याँ की छोटीसी जागीर से खंडेला व रेवासा का स्वतंत्र राज्य स्थापित करने वाले राजा रायसल दरबारी के वंशज रायसलोत शेखावत कहलाये !राजा रायसल के १२ पुत्रों में से सात प्रशाखाओं का विकास हुवा जो इस प्रकार है -

लाड्खानी
राजा रायसल जी के जेस्ठ पुत्र लाल सिंह जी के वंशज लाड्खानी कहलाते है दान्तारामगढ़ के पास ये कई गावों में आबाद है यह क्षेत्र माधो मंडल के नाम से भी प्रशिध है पूर्व उप राष्ट्रपति श्री भैरों सिंह जी इसी वंश से है !

रावजी का शेखावत
राजा रायसल जी के पुत्र तिर्मल जी के वंशज रावजी का शेखावत कहलाते है !इनका राज्य सीकर,फतेहपुर,लछमनगढ़ आदि पर था !

ताजखानी शेखावत
राजा रायसल जी के पुत्र तेजसिंह के वंशज कहलाते है इनके गावं चावंङिया,भोदेसर ,छाजुसर आदि है

परसरामजी का शेखावत
राजा रायसल जी के पुत्र परसरामजी के वंशज परसरामजी का शेखावत कहलाते है !

हरिरामजी का शेखावत
हरिरामजी रायसलोत के वंशज हरिरामजी का शेखावत कहलाये !

गिरधर जी का शेखावत
राजा गिरधर दास राजा रायसलजी के बाद खंडेला के राजा बने इनके वंशज गिरधर जी का शेखावत कहलाये ,जागीर समाप्ति से पहले खंडेला,रानोली,खूड,सामी, दांता आदि ठिकाने इनके आधीन थे !

भोजराज जी का शेखावत
राजा रायसल के पुत्र और उदयपुरवाटी के स्वामी भोजराज के वंशज भोजराज जी का शेखावत कहलाते है ये भी दो उपशाखाओं के नाम से जाने जाते है, १-शार्दुल सिंह का शेखावत ,२-सलेदी सिंह का शेखावत 

गोपाल जी का शेखावत
गोपालजी सुजावत के वंशज गोपालजी का शेखावत कहलाते है | 

भेरू जी का शेखावत
भेरू जी सुजावत के वंशज भेरू जी का शेखावत कहलाते है |

चांदापोता शेखावत
चांदाजी सुजावत के वंशज के वंशज चांदापोता शेखावत कहलाये ।
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करणी हरणी कष्टकूं ,
विडारणी विशघात ,
उपकारणी उबारणी ,
विचारणी वरदात ।(1)

अंनता अक्षंता अंकिता ,
अखंडता ऊमेस ।
उपाणी खपाणी उमां ,
शक्ति माँ शरवेस ।(2)

सुबधा संचिता सुखिता ,
विमला कमला वेस ।
भवानी शिवानी भवा ,
आइ अम्ब आदेश ।(3)

जीवा तु शिवा तु जननी ,
ब्रमाणी तूं ब्रम्ह ।
शारदा पारदा सती ,
किरपाली मम् क्रम्म ।(4)

आद अनाद उपावणी,
सांभलै सर्वे साद ।
वाद को तूं विडारणी ,
माइ अम्ब मरियाद।(5)

भाखणी साखणी भवा ,
वाचणी सार वैद ।
तारणी सारणी तवा ,
भरणी सरणी भेद ।(6)

जुवारणी जाप जिभया ,
सवारणी शिवम् सुखास ।
विचारणी विवेक विधा ,
वित वाणी विसवास।(7)

उदंडा दडंणी उमां ,
प्रचडा रढा प्रख ।
विखंडा विहंदा वडी ,
चमूंडा चढा च्रख ।(8)

खटरासी खगे खेलणी ,
आसी पंरम आस ।
निवासी न्रिभिका नित्या ,
वासी अम्ब विश्वास ।(9)

खमिया खड़गां खेलणी ,
अमिया पूर्णा आस ।
नमिया आगल निर्मला ,
उमिया अम्ब उपास ।(10)

तर्ष्णा उवारणी तमा ,
क्रिष्णा गौ किरपाल ।
रसणा रास रमावणी ,
सरणा अम्ब सवाल ।(11)

अंनत नामां ईशरी ,
आखूं किम आलेख ।
करणी हरणी कष्ट कूं
लखाण शुभगुण लैख ।(12)

।। छंद भूजंगी ।।
नमो रिधु मात नमामी नमामी ,नमो करणी करणी करणी कहाणी ।
नमो किनिया कूळ जनमी मेहाजा , नमो मात देवला सुता शिवाजा।

नमो जम ताड़णी नमो जगदंबा ,नमो अम्ब ईशरी सदा अललंबा।
नमौ राज राई जौधाण ऊपासा ,नमौ रखी नीव सुखेण सुवासा ।
नमो बीकाणपत बीकानेर मण्डी , नमो दैशाण धाम आद अखंडी ।
नमो अवतार उदार आधार अम्बा ,नमो लाखण जीव लाई भुजलंबा।
नमो करनल्ला काबा रुखाळी ,नमो मात जालखी धरसुवाप भाळी ।
नमो अखियात नमो रढियाला ,नमो धाम सुवाप नमो जुनी जाळां ।
नमौ रूंढ हाथा नमो माँ शिवानी , नमो सर्वेश्री नमो आद भवानी ।
नमो पात ब्रम्हा नमो देपराणी ,नमो ब्रम्ह पंथी नमो तुं ब्रम्हाणी ।
नमो साय वंणी गंगा सिघ बाणी ,नमो ताड़ त्रिशूळ नमो सिंह हंणी ।
नमो टेर अणदै पूगी माँ भवानी ,नमो दंभी रूप जोड़ वरत जाणी।
नमो चौथ खाती साध ऊंठ सहाई ,नमो काठ पग जोड़यो मेहाई ।
नमो पंरम रूपा तो जगत प्रकाशै ,नमो नवखंडी अभय मैं विलाशे ।
नमो कान हंणे काळ को विभाड़ै ,नमो अरि पछाड़ सिंह सम दहाड़ै ।
नमो मुलतान पूगी नवखण्डा , नमो रूप समळी अकासी ऊदंडा ।
नमो पेथड़ पछाड़ हुइ पंरम पारा ,नमो गौ रिख्या बणी माँ आधारा ।
नमो सरग रूपा दैशाण धर थापे ,नमो ब्रम्हका रूप जीवन उथापे ।
नमो सुर साय वाचे सुरवाणी ,नमो पूर्णा पूर अरथ परमाणी ।
नमो सुभ जनम धरा तो सुआपा ,नमो चारणा वरण किनियाणी आपा ।
नमो नागदंस मेहा पिता पीड़ हैरी , नमो गरल हरणी नमो आद पहेरी ।
नमो गउ पालक तूं जांगलू राया ,नमो तो नमो नमो महामाया ।
नमो जैसाण बीकाण थीर ठाया , नमो गड़ियाळा तळाव सरद साया ।
नमो दुष्ट हणण बणी जमधूता , नमो मात सेवग सदा अबधूता ।
नमो जग ज्योती नमो जग राया ,नमो अमर ताली अमि सरसाया ।
नमो नाहर चड़ी बणी रंण चण्डी, नमो फाड़ सिंहण वैरिया ऊदंडी ।
नमो सर्वो रमा मात तो अमामी ,नमो अन धन अक्षय कर प्रामी ।
नमो सर्व सिध्दी नमो सर्व दाता ,नमो संमली रुप दरसणी माता ।
नमो बणी सांवली माँ सेखै सहाई ,नमो आभ पथी मुलतान सेतुं लाई ।
आइ तो कोलायत सरोवर श्राप दीयौ , डुबकी लाखण त्याग तो कीयो ।
नमो भ्रम भजणी वैरीया ऊदंडा ,नमो त्रिपुरारी आदी तूं अंखंडा ।
नमो त्रिशुराळी पंरम पारा पारथी ,नमो वंश देपोजी शिवा रुप सारथी ।
नमो सुभ वाणी नमो सरग रासी , नमो बाळ लीला मेहा घर विलासी ।
नमो मढ नैहड़ी खेजड़ी मैहाई ,नमो गौरक्षा गौपालक हो गरवाई।
नमो अवतारी नमो हिगं लाजा ,नमो सत आवड़ा सरसाई समाजा,
नमौ धर देशणोक धाम दैशाणा ,नमौ किरपाळी बणी तो बीकाणा ।
नमो सत रहम करूणा कर धारी ,नमो हाथ कंमडळ गंगाजळ झारी ।
नमो काळका रूप अरीयां विडारै , नमो वागैश्री वहारू हैत धारै ।
नमो जाळ जोगणी नमो निझ वासा ,नमो अकास गामी अमि रस पासा ।
नमो उपकारणी नमो ओम रूपा ,नमो ऊदारणी पंरम अनूपा ।
नमो शिखराळी नमो सर्वव्यापा ,नमो चूहांवाळी द्विवज जीवन दाता।
नमो धीर धरणी नित्य धीर वाजा ,नमो दूर्गथापी अंखण्डी आवाजा ।
नमो राज राजेश्री जोग धाता ,नमो राठौड़ राइ नमो राज माता ।
नमो कांधलां विरध सत्या कुळ देवी ,नमो नमस्कार सदा सूख सेवी ।
नमो कंमख्या देवि नमो आद अनूपा ,नमो हाथ कंमडल नमो मंत्र सरूपा।
नमो मंत्र मणी नमो बीज मंत्रा ,नमो सप्त बाई नमो जुगत जंत्रा
नमो सुधा मणी नमो दंभी रूपा , नमो रूप बौघी तुरत सार संधूपा ।
नमो सत वाणी नमो सुख वासी ,नमो पिता तान नमो जीवन आसी ।
नमो छत्रधारी नमो वेद वाणी ,नमो देव दूती शिवाणी प्रामाणी ।
नमो द्वदं हरणी अंनता अखण्डी , नमो करणी करनला नवांखंड मंडी।
नमुं अम्ब नमो माँ नमामी उपासी ,नमो तु नमो नमो पंरम प्रकासी ।
।।कलश ।।

नमो अंनता नाम ,करणी स्वरुप कहाया ।
नमो अंनता नाम , विराट विवेक वताया ।
नमो अंनता नाम ,धरणी दैशाण धाया ।
नमो अंनता नाम , ऊंमा अवतार आया ।
नमस्कार नमामी निरमळा ,उमिया खमिया अवतारी ।
अम्ब किरपाळी सदा अम्बे ,ध्यान सत धीरज धारी ।


कोई गलती हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ सा-जोधा राठौड़ परावा

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कमल सिंह जोधा (रूद्रा प्रताप राठौड़)
ठिकाना परावा, सुजानगढ़, चूरू 
बीदासर 
09928634202

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